सरकार की छवि को धूमिल करने वाले अधिकारी किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे : झामुमो

रजनीश कुमार, गढ़वा

झारखंड सरकार ने गढ़वा जिले के मझिआंव अंचल अधिकारी प्रमोद कुमार के खिलाफ गंभीर आरोपों के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई की है। यह कदम सरकार की उस सख्त नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनता के साथ अभद्र व्यवहार, भ्रष्टाचार, और कार्यस्थल पर अनुशासनहीनता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के मीडिया पैनलिस्ट सह केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने भी इस प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार की छवि को धूमिल करने वाले अधिकारी किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही की नीति पर काम कर रही है, लेकिन कुछ अधिकारी अपने आचरण से जनता का विश्वास तोड़ रहे हैं। ऐसे सभी अधिकारियों पर अब सख्त कार्रवाई होगी। राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, झारखंड, रांची द्वारा जारी ज्ञापांक संख्या-03/आरोप-11-49/2025-33602 (HRMS), दिनांक 03 नवंबर 2025 के अनुसार, प्रमोद कुमार, अंचल अधिकारी, मझिआंव (गढ़वा) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आदेश के अनुसार, उनके विरुद्ध कई गंभीर आरोप लगाए गए थे कार्यालय में आने वाले लोगों के साथ अभद्र व्यवहार और मारपीट, कार्यालय अवधि में शराब का सेवन,पैसे का लेन-देन, तथा जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय की कमी।  इन सभी आरोपों की जांच के बाद गढ़वा के उपायुक्त द्वारा विभाग को निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा भेजी गई थी, जिसके बाद विभाग ने नियमों के तहत यह निर्णय लिया। निलंबन आदेश में स्पष्ट किया गया है कि प्रमोद कुमार को झारखंड सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2016 के नियम 9(1)(क) के तहत निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल, रांची स्थित प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय को निर्धारित किया गया है। साथ ही, इस अवधि में उन्हें नियम 10 के तहत जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त होगा। ज्ञापन की प्रतिलिपि राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव, विभागीय सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त पलामू, प्रमंडलीय आयुक्त रांची, उपायुक्त गढ़वा सहित संबंधित सभी अधिकारियों को भेजी गई है ताकि आदेश का तुरंत अनुपालन सुनिश्चित हो सके। इस कार्रवाई को लेकर प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। बताया जा रहा है कि प्रमोद कुमार पर कार्यालय में अनुशासनहीनता और शराब सेवन के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। वहीं, जनता और जनप्रतिनिधियों से भी उनके व्यवहार को लेकर कई शिकायतें लगातार विभाग तक पहुंचती रही थीं। झामुमो नेता धीरज दुबे ने कहा कि यह सरकार जनता की सरकार है, अधिकारी जनता के सेवक हैं, मालिक नहीं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अब कोई भी अधिकारी अगर आम जनता के साथ अभद्रता करेगा, भ्रष्टाचार करेगा या जनहित की योजनाओं में बाधा डालेगा, तो उसे अपनी कुर्सी गंवानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रीमंडल खुद जनता के बीच जाकर योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं। इसलिए अब किसी भी तरह की लापरवाही या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता की सेवा ही सरकार की प्राथमिकता है। इस पूरे प्रकरण ने यह साफ कर दिया है कि झारखंड सरकार अब शून्य सहिष्णुता की नीति पर काम कर रही है। गढ़वा जैसे सीमावर्ती जिलों में जहां भ्रष्टाचार और लापरवाही के कई मामले सामने आते रहे हैं, वहां इस तरह की कार्रवाई से सरकारी कर्मचारियों को स्पष्ट संदेश मिला है कि काम नहीं तो पद नहीं।

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